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जिला दर्शन चूरू... myeduten

०चूरू जिला बीकानेर संभाग में आता है! चूरू जिले की स्थापना 1620 इस्वी में चुहडा जाट ने किया! ०चुरू को 1100 हवेलियों का नगर भी कहते हैं! ०चूरू काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध है!(ताल छापर अभ्यारण) ० 8 खंभों की छतरी(सेठ जी की छतरी) चुरू जिले में स्थित है! ० ढोला मारू पेंटिंग(life size painting) का संबंध चुरू जिले से है! ० चूरू जिला हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है! ० "गंगा जी का मठ" चुरू जिले में स्थित है! ० चूरु दूर-दूर तक रेत के टीलों से आच्छादित है,अतः चूरु  टीलों के लिए प्रसिद्ध है! ० टकडेतो की छतरी/हवेली चूरु में है! ०दानचंद्र चोपड़ा की हवेली चूरु जिले में स्थित है! ०कोठारी हवेली चूरु जिले में स्थित है! ०खेमका तथा पारेखो की हवेली चूरु जिले में स्थित है! ० कन्हैयालाल बागला की हवेली चूरु जिले में स्थित है! ० सुराणा हवेली (सुराणा परिवार द्वारा निर्मित 6 मंजिला, कुल खिड़कियों और दरवाजों की संख्या 1100)चूरु जिले में स्थित है! चूरू के प्रमुख मेले 1. भभूतासिद्ध का मेला:_ चंगाई,तारानगर(चूरू) यहां पर भभूतासिद्ध का मंदिर है, जिसमें भाद्रपद शुक्ला सप्तमी को प्रतिवर्ष मेला लगता है! 2. सालासर ब...

राजस्थान का एकीकरण सम्पूर्ण घटनाक्रम.. myeduten

०राजस्थान का एकीकरण ०लॉर्ड माउंट बेटन योजना:_यह योजना भारत में 4जुलाई 1947 को लागू हुई थी, इसके तहत 2 नवीन राष्ट्र बनाए जाने थे_    1.भारत  2.पाकिस्तान ०भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947:_ इस अधिनियम की धारा 8 अनुसार कोई भी रियासत अपनी मर्ज़ी से भारत अथवा पाकिस्तान में मिल सकती थी और रियासत चाहे तो वो अपना स्वतंत्र अस्तित्व भी रख सकती थी। ०रियासती विभाग:_गठन 5 जुलाई 1947 को अध्यक्ष:_सरदार वल्लभभाई पटेल सचिव:_ वी.पी. मैनन उद्देश्य:_जो रियासत भारत में अपना विलय चाहती है, वह भारतीय विलय पत्र पर अपना हस्ताक्षर करें। विलय पत्र के अनुसार जो रियासत भारत में मिलती है, उसमें रक्षा, संचार, विदेशी मामले, भारत सरकार के अधीन होंगे तथा शेष कार्य के लिए रियासतें स्वतंत्र होगी। ०राजस्थान में सर्वप्रथम विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली रियासत बीकानेर रियासत थी(07 अगस्त 1947) को। इस समय बीकानेर के तात्कालिक महाराजा सार्दुल सिंह थे। ० बांसवाड़ा के राजा चंद्रवीर सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा की "मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं" ०मारवाड़ /जोधपुर के शासक हनुवंत सिंह अपनी र...

जिला दर्शन...जयपुर

                      ०जयपुर को पिंक सिटी(pink city) गुलाबी नगरी भी कहा जाता है! ०जयपुर के लिए पिंक सिटी का प्रयोग सर्वप्रथम स्टैनली रीड नामक अंग्रेज़ ने किया था! ०जयपुर को 'भारत का पेेरिस' कहते है! ०जयपुर को 'भारत का दूसरा वृंदावन' कहा जाता है! ०जयपुर में मंदिरों की अधिकता के कारण जयपुर को "राजस्थान की दूसरी कांसी" भी कहा जाता है! Note. राजस्थान की पहली कांसी बूंदी जिले को कहा जाता है! ०जयपुर शहर का प्राचीन नाम जयनगर था। जिसका मतलब होता है "city of victory" (जीत का शहर)! ०जयपुर शहर की स्थापना 18 नवंबर 1729 इस्वी में सवाई जय सिंह के द्वारा की गई तथा जयपुर शहर का वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य था! ०जयपुर की तुलना विश्व के कई देशों से की जाती है जैसे_ सुंदरता की दृष्टि से जयपुर की तुलना पेरिस से की जाती है! आकर्षण की दृष्टि से जयपुर की तुलना बुडापेस्ट से की जाती है! भव्यता की दृष्टि से जयपुर की तुलना मॉस्को से को जाती है! ०जयपुर का आधुनिक निर्माता सर मिर्जा इस्माइल खा थे! इनको सर की उपाधि अंग्रेजों द्वारा दी गई थी! सर मिर्जा इस्माइल ख...

राजस्थान.. 1857 की क्रांति सम्पूर्ण घटनाक्रम.. myeduten

०16वीं शताब्दी में मुगलों का आगमन राजस्थान में हुआ था ! 1707 ईस्वी में औरंगजेब की मृत्यु हो गई ! औरंगजेब की मृत्यु के बाद में केंद्रीय सरकार का पतन हो गया जिसके कारण राजस्थान कहीं छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित हो गया! राजस्थान में कई छोटे-छोटे राज्य स्थापित हो गए! ०जयपुर के शासक सवाई जयसिंह ने अपनी बहन अमर कुंवरी का विवाह बूंदी के शासक बुद्धसिंह हाडा से किया परंतु बुद्धसिंह का पुत्र नहीं हो रहा था, और साथ ही बुद्ध सिंह वृद्ध हो रहा था! तब सवाई जयसिंह ने बुद्धसिंह हाडा को कहा कि अपना राज्य अपने भाई दलेलसिंह को सौंप दो जिसके कारण बुद्ध सिंह ने दलेल सिंह को शासक बना दिया! ०सवाई जयसिंह ने अपनी पुत्री चंद्रकुंवरी का विवाह दलेल सिंह से करवा दिया! इस विवाह का विरोध अमरकुंवरी ने किया परंतु फिर भी यह विवाह हो गया अब शासक दलेल सिंह था! ०कुछ वर्षों के बाद में अमरकुंवरी को पुत्र हुआ, तब अमर कुंवरी ने मराठों से सहायता मांगी सहायता के लिए मल्ह राव होल्कर राजस्थान में आए इस प्रकार राजस्थान में पहली बार मराठों का प्रवेश हुआ! मराठों का राजस्थान में सर्वप्रथम प्रवेश बूंदी रियासत में हुआ! ०मराठों ने राज...

जिला दर्शन...... बीकानेर

० बीकानेर मैं राठौड़ वंश ने शासन किया! बीकानेर की राठौड़ वंश की शाखा मारवाड़/जोधपुर से अलग हुई थी!मारवाड़ का राजा राव जोधा था, राव जोधा का जेष्ठ पुत्र राव बिका था, राव बिका अपने पिता राव जोधा की आज्ञा से जांगल प्रदेश में आकर नए राज्य की स्थापना करता है, राव बिका के साथ जांगल प्रदेश में उसका भाई कांदल तथा चाचा बिदा भी साथ में आते हैं! ०राव जोधा के आदेश व करणी माता के आशीर्वाद से राव बिका बीकानेर राज्य की स्थापना करते हैं! बीकानेर राज्य की स्थापना 1465 ईस्वी में हुई! इसकी पहली राजधानी  "कोडमदेसर नगर"थी! ०किवदंती  कहा यह भी जाता है कि जब राव बिका जांगल प्रदेश की ओर जाता है,तब उसका पिता राव जोधा राव बिका को एक भेरूजी की मूर्ति देता है और कहता है कि यह मूर्ति जहां भी रुक जाए उस स्थान को केंद्र मानकर बीकानेर राज्य की स्थापना करना! आज भी एक भव्य मंदिर कोडमदेसर भेरू जी के नाम से बना हुआ है! यह भेरुजी बीकानेर के राठौड़ वंश के आराध्य देव कहलाते हैं! ०बीकानेर के राठौड़ वंश की आराध्य देवी करणी माता तथा कुलदेवी नागणेची माता है! note. चारणो  की कुलदेवी करणी माता कहलाती है! ०प्राचीन...