०चूरू जिला बीकानेर संभाग में आता है! चूरू जिले की स्थापना 1620 इस्वी में चुहडा जाट ने किया!
०चुरू को 1100 हवेलियों का नगर भी कहते हैं!
०चूरू काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध है!(ताल छापर अभ्यारण)
० 8 खंभों की छतरी(सेठ जी की छतरी) चुरू जिले में स्थित है!
० ढोला मारू पेंटिंग(life size painting) का संबंध चुरू जिले से है!
० चूरू जिला हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है!
० "गंगा जी का मठ" चुरू जिले में स्थित है!
० चूरु दूर-दूर तक रेत के टीलों से आच्छादित है,अतः चूरु टीलों के लिए प्रसिद्ध है!
० टकडेतो की छतरी/हवेली चूरु में है!
०दानचंद्र चोपड़ा की हवेली चूरु जिले में स्थित है!
०कोठारी हवेली चूरु जिले में स्थित है!
०खेमका तथा पारेखो की हवेली चूरु जिले में स्थित है!
० कन्हैयालाल बागला की हवेली चूरु जिले में स्थित है!
० सुराणा हवेली (सुराणा परिवार द्वारा निर्मित 6 मंजिला, कुल खिड़कियों और दरवाजों की संख्या 1100)चूरु जिले में स्थित है!
चूरू के प्रमुख मेले
1. भभूतासिद्ध का मेला:_ चंगाई,तारानगर(चूरू)
यहां पर भभूतासिद्ध का मंदिर है, जिसमें भाद्रपद शुक्ला सप्तमी को प्रतिवर्ष मेला लगता है!
2. सालासर बालाजी का मेला:_ सालासर,सुजानगढ़(चुरु)
यहां पर हनुमान जी का मंदिर है!यहां पर वर्ष में दो बार मेला लगता है! यह मेला चैत्र पूर्णिमा (हनुमान जयंती) तथा आश्विन पूर्णिमा के दिन लगता है!
3. गोगाजी का मेला:_ ददरेवा(चुरु)
ददरेवा चूरू में गोगा जी का मंदिर है यहां पर गोगा नवमी को मेला भरता है!
Note: गोगामेडी मंदिर हनुमानगढ़ में स्थित है!
4. साहेवा का गुरुद्वारा:_ साहेवा (चूरू)
यहां पर सिखों का मेला लगता है! यह सिखों का "राजस्थान में सबसे बड़ा मेला" है!
चूरु के प्रमुख मंदिर
1. सालासर बालाजी का मंदिर:_ सुजानगढ़(चूरू)
हनुमान जी का मंदिर, इस मंदिर के अंदर एक जाल का वृक्ष है!वृक्ष के नीचे "दाढ़ी मूछ ओर माथे पर तिलक"युक्त हनुमान जी की मूर्ति है! इस मंदिर का निर्माण 1745 में मोहन दास द्वारा किया गया!
एक किसान मोहनदास को हनुमान जी की मूर्ति अपने खेत में मिली!और सन 1745 में मोहन दास द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था! यह मूर्ति दाढ़ी मूछ युक्त और माथे पर तिलक युक्त है! पूरे भारत में हनुमान जी की इस प्रकार की एक ही मूर्ति है, जो सालासर में स्थित है! इस मंदिर को सिद्ध हनुमान पीठ भी कहते हैं! इस मंदिर में वर्ष में दो बार मेला भरता है! चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा को और जाल के वृक्ष पर श्रद्धालु धागा बांधते हैं तथा नारियल चढ़ाते हैं, जिससे भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है! इस मंदिर से कुछ दूरी पर हनुमान जी की माता अंजना देवी का भी मंदिर स्थित है!
2. तिरुपति बालाजी का मंदिर:_ सुजानगढ़ (चूरू)
भारत में तिरुपति बालाजी का मंदिर आंध्र प्रदेश में है! इस मंदिर की हूबहू प्रतिकृति के रूप में वेंकटेश्वर फाउंडेशन ट्रस्ट के अंतर्गत डॉ. नागराज तथा वेंकटाचार्य द्वारा 1994 में सुजानगढ़ में इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था!
निर्माण -वेंकटेश्वर ट्रस्ट द्वारा (1994)
देखरेख - डॉ. नागराज तथा वेंकटाचार्य द्वारा
3. गोगाजी का मंदिर:_ ददरेवा(चुरु)
ददरेवा (चुरु) गोगाजी का जन्म स्थान है! ददरेवा चुरु में गोगा जी का मंदिर है, जिसे शीशमेडी कहते हैं! जहां पर गोगानवमी (भाद्र कृष्ण नवमी) को मेला लगता है! इसके अलावा नोहर (हनुमानगढ़) में गोगाजी का एक और मंदिर है, जिसे गोगामेडी/ धुरमेडी कहते है।
चूरू: अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
० चूरू के किले का निर्माण 1739 ठाकुर खुशालसिंह द्वारा करवाया गया!
० चूरू के किले के अंदर "गोपीनाथ जी का मंदिर" है! चूरू के किले के अंदर एकमात्र मंदिर है!
० चांदी के गोले दागने वाला किला-चूरू
बीकानेर के महाराजा सूरजसिंह ने जब इस दुर्ग पर आक्रमण किया, तब ठाकुर शिवनाथ सिंह ने चांदी के गोले दागे थे!
० तालछापर अभ्यारण:_ ताल छापर गांव, सुजानगढ़ (चूरू)
यह अभ्यारण काले हिरण के लिए प्रसिद्ध है!
यहां शरद ऋतु में दो पक्षी आते हैं! 1•कुंरजा 2•बार हेडेड गूज
महाभारत के समय गुरु द्रोणाचार्य का स्थान तालछापर में था, इसी के निकट द्रोणपुर गांव भी है!
० दूधवा खारा:_रियासत काल में यह बीकानेर में आता था, परंतु वर्तमान में यह चूरु जिले में आता है!
दूधवाखारा में एक किसान आंदोलन चला था,जिसे "दूधवाखारा किसान आंदोलन" कहते हैं! इसका नेतृत्व हनुमानराम चौधरी ने किया था! इस समय बीकानेर के शासक शार्दुलसिंह थे!
इस दुधवाखारा किसान आंदोलन में "कांगड़ा कांड 1946" में हुआ था! यह बीकानेर राज्य का प्रथम किसान आंदोलन था!
ऐसी मान्यता है कि पहले इस गांव का पानी दूध के समान मीठा हुआ करता था, इसलिए यह गांव दुधवा गांव कहलाता था! लेकिन बाद में कालांतर में इस गांव का पानी खारा हो गया, इसी कारण यह अब दूधवाखारा कहलाता है!
० नाहटा संग्रहालय:_सरदारशहर (चूरु)
निर्माण-नाहटा परिवार द्वारा! यह संग्रहालय भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है!
० चूरू में एक भी नदी नहीं बहती है।
Note राजस्थान में मात्र दो ऐसे जिले हैं, जिनमें कोई भी नदी नहीं बहती! 1.बीकानेर 2. चूरू
० सुजानगढ़ शहर:_ चूरू
सुजानगढ़ शहर को "संगीतकार का गढ़" कहा जाता है! इसके अलावा कन्हैयालाल सेठिया का जन्म 1914 में सुजानगढ़ शहर में हुआ था!
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