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जिला दर्शन जालौर..rpsc,rsmssb आधारित नोट्स


०जालौर का पुराना नाम जबालीपुर था! जालौर जबाली ऋषि की तपोभूमि था, इसी कारण जालौर को जबालीपुर कहा जाता था! इसका उल्लेख बिजोलिया शिलालेख में मिलता है!
०जालौर सुकड़ी नदी के किनारे स्थित है!
०जालौर पर प्रतिहार, परमार व चौहान आदि वंश ने शासन किया था! 
०जालौर को ग्रेनाइट सिटी भी कहते हैं, क्योंकि ग्रेनाइट का सर्वाधिक उत्पादन  राजस्थान में जालौर जिले में होता है!
०जालौर को सुवर्णगिरी भी कहते हैं!
०अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर का नाम जलालाबाद रखा था!
०डॉ दशरथ शर्मा के अनुसार प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम ने जालौर को अपनी राजधानी बनाया तथा जालोर दुर्ग का निर्माण भी नागभट्ट प्रथम ने किया था!
०भीनमाल जालौर जिले के अंतर्गत आता है, प्राचीन काल में भीनमाल को बिजोलिया शिलालेख के अनुसार "श्रीमाल" कहा जाता था!
०ब्रह्मगुप्त का जन्म भीनमाल में हुआ था, ब्रह्मगुप्त प्रसिद्ध  खगोलविद थे! इनकी प्रसिद्ध रचना का नाम " ब्रह्मस्पुटसिद्धांत" है!
०महाकवि माघ का जन्म भी भीनमाल में हुआ, इनकी प्रमुख रचना का नाम "शिशुपालवध" है!
०सुवर्णगिरी या कनकाचल पहाड़ी जालौर जिले में स्थित है, इसी पहाड़ी के ऊपर जालौर दुर्ग बना हुआ है!
०इसराना की पहाड़ियां जिन्हें राजनवाड़ी की पहाड़ियां भी कहते हैं, जो जालौर जिले में स्थित है! इन पहाड़ियों की तलहटी में एक मंदिर बना हुआ है जो "जगन्नाथ महादेव मंदिर" कहलाता है!
०जसवंतपुरा की पहाड़ियां जालौर में स्थित है! इन पहाड़ियों को "मारवाड़ का माउंट आबू" भी कहा जाता है!
०जालौर का नेहड़  क्षेत्र, यह क्षेत्र समुद्री दलदल के लिए प्रसिद्ध है!
 ०रेल अथवा नाडा:_ लूनी नदी के अपवाह क्षेत्र को जालौर जिले में रेल अथवा नाडा कहा जाता है!
०सांचौर:_ इसे "सायला" भी कहते हैं, तथा "राजस्थान का पंजाब" भी कहते हैं! सांचौर (जालौर में) बालुका स्तूप के लिए प्रसिद्ध है!
०रानीवाड़ा क्षेत्र का बड़गांव:_बड़गांव को "जालौर का कश्मीर" कहते हैं!
० बांकली बांध:_आहोर तहसील(जालौर में)
 सुकड़ी नदी पर
 निर्माण 1899-1905 के मध्य अकाल राहत कार्य के दौरान हुआ(मारवाड़ रियासत द्वारा करवाया गया)!
 जालौर का सबसे प्राचीन तथा सबसे बड़ा बांध है!
० बाबा रघुनाथ पुरी का मेला:_ सांचौर(जालौर)!
० सेवड़िया पशु मेला:_ रानीवाड़ा (जालौर)!
०आशापुरी माताजी का मेला: मोंदरा(जालौर)!
० सांचौर (जालौर):_सांचौर में पांच नदियां बहती है,अतः इसे "राजस्थान का पंजाब" भी कहा जाता है! सांचौर का प्राचीन नाम सत्यपुर था!
० हरजी गांव:_जालौर
 यहां पर "मामादेव के मिट्टी के घोड़े" बनाए जाते हैं! मामादेव राजस्थान के लोक देवता है! इन्हें "बरसात का लोक देवता" भी कहा जाता है! इनका मंदिर नहीं होता बल्कि कलात्मक तोरण होता है! इन्हें प्रसन्न करने के लिए भैंसे की बलि दी जाती है!
० नाथों का दुर्ग:_भीनमाल (जालौर)
 इसे कोटकास्ता भी कहते हैं!
० भीनमाल(जालौर):_
 भीनमाल का प्राचीन नाम "श्रीमाल" था! यहां पर चीनी यात्री हेनसांग आया था! हेनसांग के अनुसार भीनमाल का नाम पिलॉमिलो था!

जालौर के प्रमुख मंदिर/मस्जिद
1. श्री लक्ष्मीवल्लभ पार्श्वनाथ 72जिनालय:_भीनमाल(जालौर)!
यह मंदिर ऋषभचंद्र विजय जी महाराज की प्रेरणा से बना है! इस मंदिर में जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों की तीन-तीन प्रतिमाएं हैं! कुल 72 प्रतिमाएं है,अतः इसे 72 जिनालय कहते हैं!
यह मंदिर "सर्वतोभद्र श्रीयंत्र रेखा" पर बनाया गया है! इसके दर्शन मात्र से लक्ष्मी की प्राप्ति हो सकती है! यह मंदिर 100 एकड़(63504वर्ग फीट) जमीन पर फैला हुआ, देश का सबसे बड़ा मंदिर है!
निर्माण:_इस मंदिर का निर्माण लुकंड परिवार ने करवाया!
निर्माण आरंभ करवाया- सुमेरमल तथा उनकी पत्नी सुवाबाई ने! तथा इस मंदिर को पूर्ण करवाया- किशोरमल, माणक़मल, तथा रमेश लुकंड ने!
यह मंदिर 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ को समर्पित है! इस मंदिर का उद्घाटन 1996 में किया गया!
•24 भूत प्रतिमाएं
•24 वर्तमान प्रतिमाएं
•24 भविष्य प्रतिमाएं
✓[ 24+24+24=72 प्रतिमाएं]

2. सिरे मंदिर:_ जालौर दुर्ग के सामने (जालौर में)!
यह भगवान शिव का मंदिर है!(नाथ संप्रदाय का मंदिर है).
यह मंदिर योगी जालंधर नाथ की तपोभूमि है!
इस मंदिर का निर्माण महाराजा रतनसिंह द्वारा किया गया!
इस मंदिर का पुनर्निर्माण महाराजा मानसिंह द्वारा अपने गुरु आयशदेवनाथ की प्रेरणा से करवाया गया!

3. तल्लीनाथ जी का मंदिर: पंचोटा गांव(जालौर)
लोकदेवता तल्लीनाथ का मूल नाम गांगदेव राठौड़ था! इन्होंने शिक्षा जालंधर नाथ से ली थी! इनका जन्म शेरगढ़ (जोधपुर) में हुआ था! यह जालौर जिले के मुख्य लोकदेेेवता है, इनके गुरु  जालंधर नाथ थे! जालौर जिले में किसी पशु/मानव के बीमार पड़ने पर इनके नाम का धागा/डोरा/तांती बांधते हैं!

4. सुंडा माता का मंदिर:_ दांतलावास गांव, रानीवाड़ा(जालौर)
यह मंदिर 1220 मीटर ऊंचाई पर स्थित है! यह मंदिर अहतेश्वरी माता का मंदिर है, जिसे चामुंडा माता भी कहते हैं! इस मंदिर में माता के शीश (सिर) की पूजा की जाती है, अतः इन्हें सुंडा माता भी कहते हैं!प्रत्येक माह की पूर्णिमा को यहां पर मेला भरता है! परंतु यहां विशाल मेला वर्ष में दो बार भरता है! 
•भाद्र शुक्ल 13 से पूर्णिमा तक
• वैशाख शुक्ल 13 से पूर्णिमा तक
यहां पर होली के अवसर पर भाटा गैर नृत्य (पत्थर का प्रयोग होता है) आयोजित होता है!
यहां पर "राजस्थान का प्रथम रोप-वे(rope-way)" 20 दिसंबर 2016 को आरंभ किया गया!

5.महोदरी/आशापुरी माता का मंदिर:_मोंदरा(जालौर)
सोनगरा वंश की कुलदेवी!
वर्ष में 2 बार मेला लगता है।
•चैत्र नवरात्र
• आश्विन नवरात्र
यहां पर माता की मूर्ति लगभग 1000 वर्ष पुरानी है!

6. जगत स्वामी/जगमडेरा मंदिर भीनमाल(जालौर)
यह एक सूर्य मंदिर है, डॉ. गौरीशंकर ओझा ने इसे राजस्थान का सबसे पुराना सूर्य मंदिर बताया है!

7. मलिक साहब पीर की दरगाह:_ जालौर दुर्ग के भीतर
 यहां हिंदू तथा मुस्लिम दोनों आते हैं, यह दरगाह धार्मिक सौहार्द के लिए जानी जाती है!

8. अलाउद्दीन खिलजी की दरगाह:_ जालौर दुर्ग के भीतर  इसे अलाई दरगाह भी कहते हैं!

9. तोपखाना मस्जिद:_ जालौर दुर्ग के भीतर 
यह राजा भोज परमार द्वारा निर्मित मूलतः संस्कृत पाठशाला थी, कालांतर में मुस्लिम आक्रांताओं ने इसे तोड़वाकर तोपखाना मस्जिद बनवाई!

10. वीर फत्ता जी का मंदिर:_ शांधू गांव (जालौर)

11. गोगाजी की ओल्डी(मंदिर):किलोरियो की ढाणी, सांचौर (जालौर)

12. क्षेमकरी माता / खीमज माता का मंदिर:_ जालौर
यह मंदिर क्षेमकरी पर्वत पर बना हुआ है! इन्हें मार्ग रक्षक देवी कहा जाता है! यह सोलंकी शासकों की कुलदेवी है!

13. सुभद्रा माता मंदिर:_ भाद्राजून (जालौर)
 इसे धुमड़ा माता भी कहते हैं!







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